गुजरात राज्य का इतिहास और जानकारी

राज्य का नाम गुजरात 

राजधानी का शहर   गांधीनगर

राज्य की प्रमुख भाषा (मातृभाषा) गुजराती

क्षेत्रफल की दृष्टीसे राज्य का देश में स्थान पाँचवा (5th)

राज्य के अंतर्गत कुल जिले ३३

राज्य निर्मिति का साल १ मई १९६०


स्वतंत्रता संग्राम से जुड़े प्रमुख राज्य अंतर्गत आंदोलन

खेड़ा आंदोलन

बार्डोली सत्याग्रह

दांडी नमक सत्याग्रह


मूलतः राज्य से जुड़े प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी

महात्मा गाँधी

सरदार वल्लभभाई पटेल

दादाभाई नौरोजी

मैडम भिकाजी कामा

श्यामजी कृष्ण वर्मा


राज्य अंतर्गत आनेवाले प्रमुख पर्यटन स्थल

गीर राष्ट्रीय अभयारण

स्टैच्यू ऑफ़ यूनिटी

रानी की वाव

कंकरिया लेक

साबरमती आश्रम

अदालज कुँवा

सूर्य मंदिर मोढेरा

लोथल पुरातत्व अवशेष स्थल


प्रमुख धार्मिक स्थल

सोमनाथ ज्योर्तिलिंग मंदिर

पावागढ़ महाकाली मंदिर

अक्षरधाम मंदिर

श्री द्वारकाधीश मंदिर

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राज्य का प्रमुख फूल :- मैरीगोल्ड

राज्य का प्रमुख प्राणी :- एशियाई शेर

राज्य का प्रमुख पक्षी :- राजहंस

राज्य का प्रमुख पेड़ :-         बरगद

राज्य का प्रमुख फल :- आम


गुजरात राज्य का इतिहास

इस महान और बड़े राज्य का इतिहास काफी पुराना है और इस राज्य को पहले गुजराता (गुर्जर राष्ट्र) कहा जाता था जिसका अर्थ होता है की गुर्जर लोगो का राष्ट्र। कुछ लोगो का ऐसा भी मानना है की गुर्जर लोग मध्य एशिया में रहते थे और पहली शताब्दी के दौरान भारत आये थे।

गुजरात में भी सिन्धु संस्कृति और हड़प्पा संस्कृति के लोग रहते थे। इस बात को साबित करने के लिए लोथल और धोलावीरा में जब खुदाई की गई तब कुछ पुख्ता सबुत मिले थे। गुजरात जैसे राज्य पर बहुत सारे शूरवीर राजा महाराजा ने राज्य किया था। इसीलिए गुजरात का इतिहास भी बहुत बड़ा बन चूका है।

इस राज्य पर मौर्य, स्क्यथियन, गुप्त, सोलंकी और मुग़ल जैसे शक्तिशाली वंश के लोगो ने शासन किया था। उन सभी राजा महाराजा ने गुजरात की संस्कृति को अधिक सम्पन्न बनाने के लिए बड़ा योगदान दिया था। उन्होंने कई सारे स्मारक बनवाये थे और कई सारी नयी परम्पराए नए सिरे से जारी कर दी थी।

बाद में फिर राज्य में गुर्जर और पारसी लोग रहते थे। लेकिन 18 वी शताब्दी तक वो सभी लोग मुग़ल और मराठा शासन के नियंत्रण में थे। सन 1818 के करीब अंग्रेज भारत में आये थे और उन्होंने 1947 तक भारत पर राज किया था। अंग्रेजो ने इस्ट इंडिया कंपनी का पहला मुख्यालय सूरत में स्थापित किया था। लेकिन बाद में अंग्रेजो ने इस मुख्यालय को बॉम्बे (अभी मुंबई) में स्थानांतरित कर दिया था।

1960 में गुजरात के लोगो ने खुद के लिए नया राज्य बनवाने का फैसला लिया था। इस फैसले के कारण ही गुजरात और महाराष्ट्र का निर्माण करवाया गया। 1 मई 1960 को गुजरात को भारत का एक राज्य के रूप में मान लिया गया था। जब शुरुवात में गुजरात राज्य बना था तब अहमदाबाद इसकी राजधानी थी लेकिन बादमे सन 1970 में गांधीनगर को राजधानी बनाया गया था। आज गुजरात पर्यटन की दृष्टि से महत्वपूर्ण राज्य माना जाता है।



गुजरात राज्य की भाषा

गुजरात विभिन्न जातियों, धर्मों और समुदायों के लोगों द्वारा बसे हुए हैं। इस कारण से, राज्य में कई विभिन्न भाषाओं बोली जाती हैं। राज्य की आधिकारिक भाषा गुजराती है। गुजराती दुनिया की 26 वीं सबसे व्यापक रूप से बोली जाने वाली भाषा है। इसके अतिरिक्त, राज्य के विभिन्न हिस्सों में बोली जाने वाली ग्यारह बोलियाँ हैं।


स्वतंत्र महाराष्ट्र और गुजरात राज्य की निर्मिती

भारतीय इतिहास पर नजर डाले अंग्रेज शासन के भारत से जाने के समय से ही देश में मौजूद संस्थानों को भारत से जोड़े रखने का महत्वपूर्ण मुद्दा उस समय के राजनेताओ के सांमने था इसमें हैद्राबाद संस्थान के अंतर्गत दक्षिण भारत का एक बड़ा भूभाग था।

जिसमे महाराष्ट्र के मराठवाड़ा और दक्षिण भारत से सटे सीमावर्ती प्रदेश समेत लगभग गुजरात का अधिकतर प्रदेश शामिल था, इसमें हैद्राबाद के निजाम के पाकिस्तान से गुप्त संबंध इस मुद्दे को दिन ब दिन और पेचिदा बना रहे थे।

स्वामी रामानंद तीर्थ के नेतृत्व में शुरू किये गए संयुक्त महाराष्ट्र अभियान के तहत तथा भाषा के आधार पर राज्य निर्मिती का हवाला देते हुए मराठवाड़ा मुक्ति संग्राम का जन्म हुआ। जिसमे साल १९६० तक हैद्राबाद का निजाम संस्थान एक अकेला संस्थान था जो भारत में शामिल होने से इनकार करता रहा इसके विरोध में महाराष्ट्र के मराठवाड़ा और गुजरात राज्य में आंदोलन और हिंसक झड़प भी होती गई।

गुजरात और मराठवाड़ा में रझाकार जो के निजाम के द्वारा तैयार किये गए संघटन थे उनसे स्थानिक लोगो के हिंसक आंदोलन और झड़पों ने स्थिति को पूरी तरह काबू से बाहर जैसे हालात उत्पन्न किये। इसी बिच रामानंद तीर्थ की सूझ बुझ से इस मुद्दे को भारत शासन के विचाराधीन लाया गया और निजाम का बंदोबस्त करने हेतु भारत सरकार द्वारा सैन्य करवाई का निर्णय लिया गया।

जिसमे निजाम को अंततः भारत सरकार के सामने घुटने टेकने पड़े और हैद्राबाद संस्थान पूर्ण सामर्थ्य से भारत सरकार के अधीन लाया गया। इसके साथ ही भाषा के आधार पर राज्य निर्मिती प्रस्ताव के तहत १ मई १९६० को स्वतंत्र महाराष्ट्र और गुजरात राज्य की निर्मिती की गई। इस क्रांतिकारक घटना ने निजाम का पूर्णतः सफाया कर भारत विरुध्द पाकिस्तान के साथ का उसका गुप्त षड्यंत्र भी नष्ट हुआ।


गुजरात के कुछ महत्वपूर्ण जिले

भारत के कुल क्षेत्रफल का विभाजन करके देखे तो क्षेत्र के अनुसार भारत के दस प्रमुख राज्यों में गुजरात राज्य शामिल है, जिसमे कुल ३३ जिले शामिल है।प्रशासनिक व्यवस्था के तहत इन सभी जिलों के अंतर्गत कुल २५२ तालुका और जिसमे लगभग १८,६१८ ग्रामीण विभाग शामिल है।

साल २०११ की जनगणना के आधार पर हमें जनसँख्या के साथ राज्य के प्रशासनिक व्यवस्था के अंतर्गत दी गई जानकारी प्राप्त होती है।


एक नजर डालेंगे गुजरात के सभी ३३ जिलों की सूची

अमरेली

आनंद

अहमदाबाद

अरवली

बनासकांठा

भरुच

भावनगर

बोटाड

छोटा उदयपुर

दहोड

डांग

देवभूमि द्वारका

गांधीनगर (राजधानी

गिर सोमनाथ

जामनगर

जूनागढ़

कूच

खेड़ा

महिसागर

मेहसाणा

मोरबी

नर्मदा

नवसारी

पंचमहल

पाटण

पोरबंदर

राजकोट

साबरकांठा

सूरत

सुरेंद्रनगर

तापी

वड़ोदरा

वालसाड



गुजरात राज्य में मौजूद प्रमुख हवाई अड्डे

सरदार वल्लभभाई पटेल आंतरराष्ट्रिय एअरपोर्ट(अहमदाबाद)

सूरत एअरपोर्ट

भावनगर एअरपोर्ट

राजकोट एअरपोर्ट

जामनगर एअरपोर्ट

वड़ोदरा एअरपोर्ट

भुज एअरपोर्ट


गुजरात के शिक्षा संबंधी प्रमुख संस्थान / यूनिवर्सिटी 

वीर नर्मद दक्षिण गुजरात यूनिवर्सिटी – सूरत

डॉ. बाबासाहेब मुक्त शिक्षा यूनिवर्सिटी – अहमदाबाद

गुजरात यूनिवर्सिटी – अहमदाबाद

सरदार पटेल यूनिवर्सिटी

सौराष्ट्र यूनिवर्सिटी – राजकोट

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान – गांधीनगर

भक्त कवि नरसी मेहता यूनिवर्सिटी

निरमा यूनिवर्सिटी

महाराजा सयाजीराव यूनिवर्सिटी – बड़ोदा

गणपत यूनिवर्सिटी – मेहसाणा


गुजरात का धर्म 

भारत के अन्य राज्यों की तरह गुजरात में भी विभिन्न जाती और धर्मं के लोग बड़े ही प्रेम भाव से रहते है। भारत के सबसे अधिक औद्योगिक राज्यों में गुजरात का भी नाम आता है और औद्योगिकिकरण ज्यादा होने के कारण युवा के लिए रोजगार के अवसर बड़े पैमाने पर उपलब्ध है।

इसीलिए देश के हर कोने में से लोग यहापर काम ढूंढने आते है और यही पर हमेशा के लिए बस जाते है। गुजरात में अधिकतर लोग हिन्दू धर्म के ही है और लगभग 89.1% लोग हिन्दू धर्मं के ही है। गुजरात के लोग बहुत ही रुढ़िवादी है और केवल शाकाहारी खाना ही खाते है।

यहाँ के जितने भी हिन्दू धर्म के लोग है उनकी प्रमुख देवता भगवान श्री कृष्ण ही है। पुरे राज्य में श्रीकृष्ण की श्रीनाथजी के रूप में पूजा की जाती है। गुजरात में हिन्दू के अलावा भी पारसी, मुस्लीम, सिख और जैन धर्मं के लोगो की संख्या भी बहुत बड़ी है। इन सबसे हमें गुजरात की सांस्कृतिक विविधता समझ में आती है।


गुजरात के त्यौहार

इस राज्य को त्यौहार का राज्य माना जाता है। त्योहारों को पुरे उत्साह के साथ मनाने के लिए गुजरात देश और विदेश में जाना जाता है। पुरे देश में बहुत से त्यौहार हैं लेकिन कुछ उत्सव ऐसे भी है जो केवल गुजरात से ही जुड़े है।

इस तरह के त्यौहार बहुत पुराने ज़माने से गुजरात में मनाये जाते है। अपनी प्रथा और परंपरा को बनाये रखने के लिए यहाँ के लोग उत्सव मनाते है। गुजरात मे सबसे ज्यादा नवरात्री का उत्सव मनाया जाता है।


नवरात्रि

नवरात्रि गुजरात का सबसे प्रमुख त्यौहार माना जाता है। त्यौहार को बड़े पैमाने पर और बड़े उत्साह के साथ मनाने के लिए गुजरात राज्य काफी जाना जाता है। यह त्यौहार केवल गुजरात में ही नहीं बल्की पुरे देश में बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। नवरात्री का आयोजन करने के लिए बहुत सारी व्यवस्था की जाती है।

गुजरात सरकार भी इस त्यौहार को अच्छे से मनाने के लिए तयारियो में लग जाता है। दशहरा के नौ दिन पहले इस त्यौहार की शुरुवात होती है। देवी के नौ अवतार की पूजा इस त्यौहार के दौरान की जाती है। पुरे नौ दिनों में लोग देवी के उपवास करते है और मंदिरों में जाकर देवी के दर्शन लेते है।

रात के समय तो त्यौहार को बूढ़े और जवान सभी लोग एक साथ में मिलकर मनाते है। इस उत्सव में सबसे मुख्य आकर्षण डांडिया रास और गरबा ही रहता है। यह दोनों भी नृत्यु इस प्रदेश के पारंपरिक नृत्य में गिने जाते है। इसमें लोग ड्रम की धुन पर नाचते है और साथ में लोकगीत गाते है। डंडिया रास के दौरान सभी लोग इकट्टा होकर मैदान में इस नृत्य का आनंद लेते है। यह नृत्य देर रात तक बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है।


कच्छ का महोत्सव

कच्छ का त्यौहार गुजरात के कच्छ प्रदेश में मनाया जाता है। इस त्यौहार को गुजरात पर्यटन निगम की तरफ़ से आयोजित किया जाता है और यह त्यौहार छे दिन तक चलता है।

रथ यात्रा

रथ यात्रा एक बहुत ही बड़ा उत्सव है जो गुजरात में बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। इस उत्सव के नाम से ही हमें मालूम पड़ता है इस उत्सव में बड़े बड़े लकड़ी के रथ बनाये जाते है और उसमे भगवान कृष्ण, भगवान बलराम और देवी सुभद्रा को इन रथो में बिठाया जाता है।


दंग दरबार

दंग दरबार का उत्सव गुजरात के दंग जिले में बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। यह जिला सातपुडा पर्वत में आता है। इस जिले में ज्यादातर जनजाति वाले लोग रहते है जो इस प्रदेश में बहुत पुराने ज़माने से रहते है। इसी कारण दंग दरबार का उत्सव जनजाति के लोगो का त्यौहार बन चूका है।


गुजरात के मंदिर

गुजरात में कई सारे मंदिर है जिसके कारण गुजरात को एक पवित्र राज्य माना जाता है। इन मंदिरों के कारण कई सारे यात्री इस स्थान पर हमेशा आते रहते है। यहाँ के सभी मंदिरे को देखकर पुराने समय याद आ जाती है और जिन्हें पुराणी वास्तुकला में काफी रुची है उनके लिए यह जगह सभी तरह से सही है।

गुजरात के देव और देवी के मंदिरे उनकी सुन्दरता और भव्यता के कारण विशेष जाने जाते है। इन मंदिरों को एक बार भेट देने के बाद आप के मन में भी भगवान के प्रति प्रेम और समर्पण की भावना जागृत हो जाती है।


सूर्य मंदिर

गुजरात का सूर्य मंदिर मोढेरा में स्थित है। यह सूर्य मंदिर कोणार्क के सूर्य मंदिर की तरह दीखता है और यह मंदिर भगवान सूर्यदेव को समर्पित है। इस मंदिर में हर साल जनवरी के महीने में नृत्य उत्सव का आयोजन किया जाता है।


अक्षरधाम मंदिर

अक्षरधाम मंदिर गुजरात की राजधानी गांधीनगर में स्थित है। ऐसा शानदार और दिव्य मंदिर भगवान स्वामीनारायण को समर्पित है। पुरे गुजरात में इस मंदिर के परिसर जैसा बड़ा परिसर कहा पर भी देखने को नहीं मिलता।


सोमनाथ मंदिर

सोमनाथ मंदिर गुजरात के जुनागड़ जिले में स्थित है। यह प्रसिद्ध मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। भारत के बारा ज्योतिर्लिंग मंदिर में से यह एक मंदिर है। इस मंदिर की खास बात यह है की इसे छे बार बनवाया गया और छे बार तोडा गया।


अम्बाजी मंदिर

अम्बाजी मंदिर गुजरात के बनासकांठा जिले के अम्बाजी शहर में स्थित है। यह पवित्र मंदिर देवी आंबे माता को समर्पित है। भारत में जितने भी शक्तीपीठ है उनमेसे एक यह एक शक्तिपीठ माना जाता है।


द्वारकाधीश मंदिर

द्वारका शहर गुजरात के जामनगर जिले में आता है। यह शहर गुजरात का बहुत ही पुराना मंदिर है और इस शहर में देश का बहुत ही प्रसिद्ध द्वारकाधीश मंदिर है जो देश के हिन्दू लोगो का सबसे बड़ा तीर्थस्थल माना जाता है। इस शहर की समृद्धि को देखकर इसे ‘स्वर्ण द्वारका’ भी कहा जाता है।


गिरनार मंदिर

गुजरात के पवित्र स्थलों मे गिरनार का भी नाम लिया जाता है। गिरनार जुनागड़ के नजदीक में ही स्थित है। इस जगह इतने सारे मंदिर देखने को मिलते है जिसके कारण गिरनार एक मंदिरों का शहर बन चूका है। गुजरात जैसे महान और पवित्र राज्य में देखने जैसी बहुत जगह है।

यहापर कई सारे हिन्दू मंदिर, जैन मंदिर और अन्य धर्म के मंदिरों की कोई कमी नहीं। यहापर त्योहारों की भी कोई कमी नहीं। यहाँ हर तरह के उत्सव बड़े आनंद से मनाये जाते है। नवरात्री, दंग दरबार, मोढेरा नृत्य त्यौहार जैसे कई सारे त्यौहार मनाये जाते है। मंदिरों में भी यहापर विविधता दिखाई देती है। यहापर का हर मंदिर दुसरे मंदिर से पूरी तरह से अलग है।

हर मंदिर की खुद की अलग पहचान है। सूर्य मंदिर, सोमनाथ मंदिर, द्वारकाधीश मंदिर, गिरनार मंदिर जैसे प्रसिद्ध मंदिर केवल इसी राज्य में देखने को मिलते है। यहाँ का जो सूर्य मंदिर है वो तो सबसे खास है। इस मंदिर को देखने के बाद आप को कोणार्क के सूर्य मंदिर की याद आ जाती है क्यों की यहाँ का सूर्य मंदिर बिलकुल कोणार्क के मंदिर की तरह ही बनवाया गया है।

गुजरात राज्य की एक बात सबसे विशेष है की इस राज्य में खुद भगवान कृष्ण रहते थे। गुजरात के द्वारका शहर में भगवान कृष्ण रहते थे और वहासे ही अपना राज्य चलाते थे। द्वारका शहर बहुत सुन्दर और समृद्ध था।

अपनी इस राजधानी से भगवान श्री कृष्ण सब पर ध्यान रखते थे। ऐसा भी कहा जाता है की उनका यह शहर सोने से बनाया गया था। सभी तरफ़ स्वर्ण की इमारते, लोगो के घर बनाये जाते थे। शायद इसी कारण उनके इस शहर को स्वर्ण का शहर भी कहा जाता था।